बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए

Bihar Rajy Punargathan Adhiniyam बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए ( Bihar Reorganisation Act, 2000 ) बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 2000 में भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून था। लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमशः 2 और 11 अगस्त को विधेयक पारित किया और 15 नवंबर 2000 को इसने नए राज्य, झारखंड को जन्म दिया। इसने बिहार के एक हिस्से से झारखंड राज्य का निर्माण किया।.

पुनर्गठन के प्रावधान क्या है? 

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को अधिनियमित किए जाने से दिनांक 1.11.1956 को एक नया राज्य, बम्बई का गठन किया गया था जिसमें भूतपूर्व बम्बई राज्य का मराठी भाषी क्षेत्र, भूतपूर्व मध्य प्रदेश राज्य का विदर्भ क्षेत्र, भूतपूर्व हैदराबाद राज्य का मराठवाड़ा क्षेत्र और भूतपूर्व सौराष्ट्र और कच्छ राज्य शामिल थे।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 का आधार क्या था?

इस आयोग ने राष्ट्रीय एकता, प्रशासनिक और वित्तीय व्यवहार्यता, आर्थिक विकास, अल्पसंख्यक हितों की रक्षा तथा भाषा को राज्यों के पुनर्गठन का आधार बनाया। सरकार ने इसकी संस्तुतियों को कुछ सुधार के साथ मंजूर कर लिया। जिसके बाद 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद ने पास किया।

बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000

इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 है

परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित हो,-

  () नियत दिन" से वह दिन अभिप्रेत है, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ;

() अनुच्छेद" से संविधान का कोई अनुच्छेद अभिप्रेत है ;

() सभा निर्वाचन-क्षेत्र", परिषद् निर्वाचन-क्षेत्र" और संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र" के वही अर्थ हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (1950 का 43) में हैं ;

() निर्वाचन आयोग" से राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 324 के अधीन नियुक्त निर्वाचन आयोग अभिप्रेत है ;

() विद्यमान बिहार राज्य" से नियत दिन के ठीक पूर्व विद्यमान बिहार राज्य अभिप्रेत है ;

() विधि" के अंतर्गत विद्यमान संपूर्ण बिहार राज्य या उसके किसी भाग में, नियत दिन के ठीक पूर्व विधि का बल रखने वाली कोई अधिनियमिति, अध्यादेश, विनियम, आदेश, उपविधि, नियम, स्कीम, अधिसूचना या अन्य लिखत है ;

() अधिसूचित आदेश" से राजपत्र में प्रकाशित आदेश अभिप्रेत है ;

() बिहार राज्य और झारखंड राज्यों के संबंध में, जनसंख्या अनुपात" से 645.30 : 218.44 का अनुपात अभिप्रेत है ;

() संसद् के किसी सदन या विद्यमान बिहार राज्य के विधान-मंडल के संबंध में, आसीन सदस्य" से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जो नियत दिन के ठीक पूर्व उस सदन का सदस्य है ;

() विद्यमान बिहार राज्य के संबंध में, उत्तरवर्ती राज्य" से बिहार या झारखंड राज्य अभिप्रेत है ;

() अंतरित राज्यक्षेत्र" से वह राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है जो नियत दिन को विद्यमान बिहार राज्य से झारखंड राज्य को अंतरित किया गया है ;

() खजाना" के अंतर्गत उप-खजाना भी है ; और

() विद्यमान बिहार राज्य के किसी जिले, तहसील या अन्य प्रादेशिक खंड के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह नियत दिन को उस प्रादेशिक खंड में समाविष्ट क्षेत्र के प्रति निर्देश है । बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए

बोकारो, चतरा, देवगढ़, धनबाद, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लोहारदगा, पाकुड़, पलामू, रांची, साहबगंज, सिंहभूम (पूर्व) और सिंहभूम (पश्िचम) जिले, और तदुपरि उक्त राज्यक्षेत्र विद्यमान बिहार राज्य के भाग नहीं रहेंगे । बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए

4. बिहार राज्य और उसके प्रादेशिक खंड-नियत दिन से ही, बिहार राज्य में धारा 3 में विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों से भिन्न विद्यमान बिहार राज्य के राज्यक्षेत्र समाविष्ट होंगे

5. संविधान की पहली अनुसूची का संशोधन-नियत दिन से ही, संविधान की पहली अनुसूची में, 1. राज्य" शीर्षक के अंतर्गत,-

6. राज्य सरकारों की व्यावृत्ति शक्तियां-इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों की किसी बात से यह नहीं समझा जाएगा कि वह बिहार सरकार या झारखंड सरकार की नियत दिन के पश्चात् राज्य के किसी जिले या अन्य प्रादेशिक खंड के नाम, क्षेत्र या सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति को प्रभावित करती है । बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए

Post a Comment

Previous Post Next Post