Rajy Rajniti ke vibhinn nirdharko ki bhumika ka varnan kijiye राज्य राजनीति के विभिन्न निर्धारकों की भूमिका का वर्णन कीजिए राज्य की परिभाषा के लिए राजनीतिक विचारक
गार्नर वैज्ञानिक दृष्टि से सबसे खरे उतरते हैं और उनकी परिभाषा सबसे सटीक और आधुनिक
मानी जाती है । गार्नर के अनुसार,
“राज्य मनुष्य के उस समुदाय का नाम है,
जो संख्या में चाहे अधिक हो या कम हो । परंतु स्थाई रूप से किसी निश्चित भूभाग पर बसा
हुआ हो । जो कि बाहरी शक्ति के नियंत्रण से लगभग स्वतंत्र हो और जिसमें एक ऐसी सुव्यवस्थित
शासन व्यवस्था या सरकार विद्यमान हो । जिसको आदेश का पालन करने के लिए उस भूभाग के
सभी निवासी अभ्यस्त होते हैं ।”
भारत की राजनीति (Indian Politics) संविधान के ढाँचे में काम करती हैं। जहाँ पर राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख होता हैं और प्रधानमंत्री कार्यपालिका का प्रमुख होता हैं।
भारत एक संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र हैं, भारत एक द्वि-राजतन्त्र का अनुसरण करता हैं, अर्थात, केन्द्र में एक केन्द्रीय सत्ता वाली सरकार और परिधि में राज्य सरकारें।
संविधान में संसद के द्विसदनीयता का प्रावधान हैं, जिस में एक ऊपरी सदन (राज्य सभा) जो भारतीय संघ के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता हैं, और निचला सदन (लोक सभा) जो भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता हैं, सम्मिलित हैं।
शासन एवं सत्ता सरकार के हाथ में होती है। संयुक्त वैधानिक बागडोर कार्यपालिका एवं संसद के दोनो सदनों, लोक सभा एवं राज्य सभा के हाथ में होती है। न्याय मण्डल शासकीय एवं वैधानिक, दोनो से स्वतंत्र होता है।
संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर विधायिका जनता के द्वारा चुनी जाती है। अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। बहुमत की स्थिति में न होने पर मुख्यमंत्री न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवैधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। भारत का पूरी राजनीती मंत्रियों के द्वारा निर्धारित होती है। भारत एक लोकतांत्रिक और धार्मिक और सामुदायिक देश है। जहां युवाओं में चुनाव का बढ़ा वोट केंद्र भारतीय राजनीति में बना रहता है यहां चुनाव को लोकतांत्रिक पर्व की तरह बनाया जाता है। भारत में राजनीतिक राज्य में नीति करने की तरह है।
भारत की राजनीति ऐसी राजनीति जो आज के समय में लोकतंत्र के सबसे सहि पायदान पर है भारत की राजनीति जिसमें सभी व्यक्ति को समानता अधिकार प्रदान करने के लिए चुनाव होता है और वही हो रहा है भारत की राजनीति बाजार की तरह थी लेकिन वर्तमान सरकार के वजह से अत्यधिक पारदर्शी हो गई है भारत की राजनीति को अलग अलग तरीकों से जैसे बाजार का कोई भी सामान अलग अलग मूल्य से काम नहीं हो सकता था। विशेष लोगों के लिए विशेष छूट और अन्य के लिए कोई भी प्रकार की कटौती नहीं। भारत एक लोकतंत्र देश है लेकिन इस देश में लोकतंत्र का कोई महत्त्व दिखाई नहीं पड़ रहा था,लोकतंत्र को दिखाई देने के लिए एक क्रमबद्ध तरीके से लोकतंत्र चुनाव तब का समय था कि केवल अपने फायदे के लिए जनता को आगे करें जा रहे थे राजनीति पूरी तरह से भारत में नाम मात्र का रह चुका था राजनीति नहीं यह तो राज्य नीति है राजनीति का सही अर्थ है राज्य की नीति को कैसे सुचारू रूप से चलाया जाए जो की पहली बार देश में देखने को मिल रहा है।
बढ़ते अपराध का दायरा समाज के ताने को छिन्न-भिन्न कर रहा है। इसके पीछे अशिक्षा को बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि बीते साल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भरसक प्रयास किए गए हैं। इस साल अभियान चलाकर स्कूलों में छात्र-छात्राओं का संख्या बढ़ाई जाएगी। वहीं बढ़ते अपराध को रोकने के लिए पुलिस नए साल में नए प्रयोग कर रही है। मसलन छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए एसपी एसएस बघेल ने थाना स्तर पर टीम गठित करने का आदेश दिया है। पुलिस की सक्रियता बढ़ाने के लिए दिन व रात्रि की गश्त को प्रभावी बनाने के लिए कई योजनाओं पर जिले की पुलिस काम कर रही है। ताकि जनता में पुलिस का खौफ पैदा हो और अपराध में कमी आए। उसके बाद ही सामाजिक ताना-बाना बिगड़ने से बचेगा। इसके अलावा वर्ष 2014 में पुलिस विकास की राह में एक और कदम आगे बढ़ाने जा रही है। निश्चित ही इस कदम से सामाजिक स्थिति में भी बदलाव होगा। सीसीटीएनएस योजना के तहत थानों को आनलाईन कर लोगों को सूचना क्रांति के क्षेत्र में कदम रखवाया जाएगा। उम्मीद है कि यह योजना भी वर्ष 2014 में लागू हो जाएगी।
राज्य के आवश्यक तत्व (Important Parts of State)
भूमि (भूभाग) (Land/the Terrain)
तो सबसे पहले हम राज्य के सबसे मुख्य तत्व भूमि यानी ज़मीन के बारे में जानते हैं । सबसे पहले हमें राज्यों को बनाने के लिए भूभाग चाहिए होता है । एक जगह, स्थान या भूमि चाहिए जहाँ लोगों को बसाया जा सके । ऐसा नहीं कि राज्य एक छोटे से स्थान पर बन जाता है । राज्य को बनाने के लिए बहुत बड़ा भूभाग चाहिए होता है । भूभाग होने के लिए उसके साथ सुविधाएं भी होनी चाहिए, ताकि जनसंख्या को बसाया जा सके और उसकी जरूरतों को पूरा किया जा सके । ऐसा नहीं कि रेगिस्तान में लोगों को बसा दिया जाए, या फिर पहाड़ो पर या जंगलों में । यह काफी मुश्किल काम है, यानी भूभाग या जगह ऐसी होनी चाहिए, जो लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सकें ।
जनसंख्या (Population)
हमारे पास बहुत बड़ा भूभाग है । अगर उस भू-भाग पर लोग ना रहे, तो उस भू-भाग के होने का कोई फायदा नहीं है । भूभाग पर लोगों को बसाया जाता है और साथ-साथ उनको मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं । जिससे वह अपना जीवन व्यतीत कर सकें । यह भी राज्य का एक आवश्यक तत्व माना जाता है । कुछ लोग जैसे 10, 20, 50 या 100 लोग होने से राज्य नहीं बन पाता । तो लोगों को अधिक से अधिक संख्या में बसाया जाता है । जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग राज्य को बसाने या राज्य का निर्माण करने के लिए चाहिए होता है । राज्य में लोगों को सुविधाएं देने के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और कारखानों का निर्माण किया जाता है ।
सरकार (Government)
सरकार राज्य को संचालित करने के लिए एक तंत्र होता है । राज्य के लिए एक संगठित सरकार का होना बहुत ही आवश्यक है । अब हमारे पास धरती का एक बहुत बड़ा भूभाग है और हमारे पास भारी मात्रा में जनसंख्या भी है । अब राज्य को पूरा करने के लिए किस चीज की आवश्यकता होती है ? यहां पर अब सरकार की जरूरत है । मान लीजिए कि अगर नागरिक को खुला छोड़ दिया जाए, तो शायद वह अपनी वह मनमानी करें । लोग अनियंत्रित होंगे, कुछ भी व्यवस्थित नहीं होगा । सब कुछ तितर वितर होगा ।